Friday, December 28, 2018

देश के पहले मानव मिशन पर तीन भारतीय अंतरिक्ष में जाएंगे, 10 हजार करोड़ का बजट मंजूर

पहले भारतीय गगनयान मानव मिशन के लिए कैबिनेट ने 10 हजार करोड़ रुपए के बजट की मंजूरी दी है। केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस अभियान के तहत 3 एस्ट्रोनॉट 7 दिन तक अंतरिक्ष में रह सकेंगे। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष यात्रा करने वाले पहले भारतीय थे, लेकिन वह रूस का मिशन था।

मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर किया था ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल स्वतंत्रता दिवस पर इस गगनयान मिशन का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था- 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने से पहले भारत अंतरिक्ष में मानव मिशन के साथ गगनयान भेजेगा।

इसरो चेयरमैन के. सिवन ने भास्कर के साथ बातचीत में कहा था- गगनयान के लिए डिजाइन तैयार हो चुका है। अभी हम अपनी क्षमताओं के आकलन में लगे हैं। समूचे सिस्टम को अधिक से अधिक स्वदेशी बनाएंगे।

इसरो गगनयान के लिए आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस पोर्ट पर अपना सबसे बड़ा रॉकेट जीएसएलवी मार्क 3 स्थापित करना चाहता है। इसके जरिए 3 अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा जाएगा। 

स्पेस एजेंसी अपनी इस योजना को अगले 40 महीनों के भीतर पूरा करना चाहती है। शुरुआती चरणों के दौरान एजेंसी पहले दो मानव रहित अंतरिक्ष यान भेजना चाहती है। इसके बाद मानवयुक्त अंतरिक्ष यान भेजने की योजना है, जो 5-7 दिनों तक पृथ्वी की निचली कक्षा में रहेगा।

चेयरमैन के. सिवन ने कहा- 2022 तक गगनयान की डेडलाइन है। यह बेहद कसा हुआ कार्यक्रम है, लेकिन इसरो इसे हर हाल में तय सीमा के भीतर अंजाम देगा।

इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को व्योमनॉट्स कहा जाएगा। यह शब्द संस्कृत के ‘व्योम’ से लिया गया है, जिसका अर्थ अंतरिक्ष है।

किसानों को ब्याज में छूट देने पर केंद्र सरकार हर साल 15,000 करोड़ रुपए खर्च करती है। अगर पूरी तरह ब्याज माफ किया जाता है तो यह राशि 30,000 करोड़ रुपए हो जाएगी।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सरकार किसानों से अलग-अलग फसलों के इंश्योरेंस के लिए 1.5 से 5% तक प्रीमियम लेती है। प्रीमियम का बाकी खर्च केंद्र और राज्य सरकारें उठाती हैं। फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) में 4.79 करोड़ किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कवर किए गए।

सूत्रों के मुताबिक रबी और खरीफ की फसलों के इंश्योरेंस के लिए किसान सालाना 5,000 करोड़ रुपए का प्रीमियम चुकाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में किसानों को राहत का मुद्दा बेहद अहम होगा।

राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में हार के बाद केंद्र सरकार एग्रीकल्चर सेक्टर को राहत देने के लिए जोर-शोर से जुट गई है। सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में पिछले कुछ दिनों में कई उच्च स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की ओर से कर्ज माफी का वादा राज्यों के चुनावों में भाजपा की हार की बड़ी वजह रहा।

Wednesday, December 19, 2018

285 करोड़ रुपए की संपत्ति के लिए मृत मां को जिंदा बताया, पति-पत्नी और बेटा गिरफ्तार

मुंबई में रहने वाले एक व्यक्ति सुनील, पत्नी राधा और बेटे अभिषेक को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया गया है। आरोपी के भाई ने धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। यह भी कहा था आरोपी ने 285 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी के लिए दस्तावेजों में मृत मां को जिंदा बता दिया। तीनों आरोपियों को 15 दिसंबर को मुंबई के पवई स्थित हीरानंदानी गार्डन से अरेस्ट किया गया था। 

नोएडा में दर्ज हुई थी एफआईआर
विजय गुप्ता ने नोएडा के सेक्टर-20 में अपने बड़े भाई सुनील, भाभी, उनके दो बेटों और पांच अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। केस पांच साल पुराना है।

थाना प्रभारी मनोज कुमार पंत के मुताबिक- "मां के निधन के बाद सुनील गुप्ता ने फर्जी दस्तावेज बनवाए, जिसमें उन्हें (मां) जिंदा दिखाया गया। इसके बाद सुनील ने धोखे से प्रॉपर्टी को अपने और परिवार के नाम करा लिया। इसके चलते शिकायतकर्ता को 285 करोड़ का नुकसान हुआ।''

सुनील की मां कमलेश रानी का निधन 7 मार्च 2011 को हो गया था। उनकी संपत्ति 285 करोड़ रुपए की है जिसमें मुंबई में एक मोमबत्ती बनाने की फैक्ट्री भी शामिल है। फैक्ट्री का एक ऑफिस नोएडा में भी है।

कमलेश रानी ने अपनी वसीयत में लिखा था कि मरने के बाद उनके बेटों में यह जायदाद बांट दी जाए। विजय गुप्ता ने जिला कोर्ट में अपने बड़े भाई पर आरोप लगाया कि उसने गलत दस्तावेज बनवाए और कंपनी पर कब्जा कर लिया, जबकि कंपनी में वह भी पार्टनर था।

अफसर के मुताबिक- "सुनील ने मुंबई स्थित रजिस्ट्रार ऑफिस में पेश दस्तावेजों में बताया कि मोमबत्ती बनाने वाली कंपनी उसे मां से तोहफे के रूप में मिली है। इसकी वसीयत (गिफ्ट डीड) भी कराई जा चुकी है। नियम के मुताबिक गिफ्ट डीड किसी मृत व्यक्ति के नाम से नहीं बनवाई जा सकती। डीड में मृत मां को जिंदा बताया गया था।''

विजय ने यह आरोप भी लगाया कि सुनील (बड़े भाई) ने मां की मौत के बाद कंपनी से 29 करोड़ रुपए का ट्रांसफर अपने एक दोस्त की कंपनी में किया। इसके लिए किसी से भी सलाह-मशविरा नहीं किया गया। जब विजय ने बड़े भाई का विरोध करना शुरू किया तो उसने जान से मारने की धमकी दी।

सबूत जुटाने के बाद नोएडा से पुलिस टीम मुंबई रवाना हुई, जहां सुनील, उसकी पत्नी और बेटे को गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर नोएडा लाया गया। उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है।