Thursday, January 17, 2019

क्या झारखंड में पुश्तैनी ज़मीन खोज रहे हैं अमित शाह

मैंने यह कहा था कि अमित शाह जी के दादाजी ने 150-200 साल पहले देवघर में ज़मीन ख़रीदी थी. वह ज़मीन अमित जी के पिताजी या उनके नाम पर ट्रांसफ़र नहीं हो सकी. अमित जी को हाल ही में इस ज़मीन की जानकारी मिली, तो उन्होंने मुझे इसके बारे में बताया. मैंने उन्हें ज़मीन के कागज़ात निकलवाने को कहा है, ताकि हम उसके लोकेशन को ढूंढ सकें. यह उनकी पुश्तैनी संपत्ति है.'

बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने बीबीसी से यह बात कही.

उन्होंने बताया कि अमित शाह के पारिवारिक मुंशी को ज़मीन के कागजात निकालने के लिए कहा गया है, लेकिन अभी यह दस्तावेज़ नहीं मिल सका है. दस्तावेज़ मिलने के बाद हम लोग ज़मीन का पता कर सकेंगे कि वह देवघर के किस इलाके में है.

डॉ. निशिकांत दुबे झारखंड की गोड्डा संसदीय सीट से लोकसभा के सदस्य हैं. देवघर उनके संसदीय क्षेत्र का एक शहर है.

कुछ दिनों पहले उन्होंने यहां आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह कहकर सबको चौंका दिया था कि अमित शाह जी की देवघर में खतियानी ज़मीन है. यह कांफ्रेस उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष के आगामी 19 जनवरी को प्रस्तावित देवघर दौरे की जानकारी देने के लिए बुलायी थी.

उस प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद रहे एक पत्रकार ने बीबीसी से कहा, ''हम लोगों ने जब ज़मीन के बारे में ज़्यादा जानकारी चाही, तो सांसद ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने सिर्फ़ इतना कहा कि अमित शाह जी का देवघर से पुराना लगाव है. वे यहां के परमानेंट (खतियानी) वाशिंदे हैं.''

बिहार की सीमा से सटे देवघर की पहचान यहां स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर (बाबा बैद्यनाथ के मंदिर) से है. यहां पूजा करने देश भर के लोग आते हैं. इनके अलग-अलग पंडे (पुरोहित) हैं, जिनके पास उन सभी लोगों का लेखा-जोखा है, जो कभी यहां पूजा करने आए थे.

यहां के पंडों ने अपने 'दस्तख़ती' (रजिस्टर) में उन लोगों के दस्तख़त भी करा रखे हैं. उनके पास इन लोगों की 'वंशावली' भी है. पंडों का दावा है कि देवघर आने वाले हिंदू धर्मावलंबी बाबा मंदिर में मत्था टेके बगैर नहीं जाते.

गुजरात के पंडे यहां बैद्यनाथ गली में रहते हैं. दरअसल, यह एक ही परिवार (सीताराम शिरोमणि) के लोग हैं, जो गुजरात के अलग-अलग ज़िलों के लोगों की पूजा कराते हैं.

यहां मेरी मुलाकात दीनानाथ नरौने से हुई, जो अमित शाह के गृह क्षेत्र के पंडा हैं. उनके पूर्वज पिछले 200 सालों से मनसा (अमित शाह का पैतृक शहर) के लोगों की पूजा कराते रहे हैं. मुझे इनकी वंशावलियां दिखाते हुए उन्होंने दावा किया कि अमित शाह, उनके पिताजी या दादाजी यहां कभी पूजा करने नहीं आए. लिहाजा, 'दस्तख़ती' में उनके दस्तख़त नहीं है. इसलिए उनकी वंशावली भी नहीं बन सकी है.

दीनानाथ नरौने ने बीबीसी से कहा, ''अमित शाह जी की ज़मीन को लेकर सांसद महोदय का बयान बेबुनियाद है. कोई और अमित शाह होगा, जिसकी ज़मीन होगी. लेकिन, वे अमित शाह जो मनसा के रहने वाले हैं, बीजेपी के अध्यक्ष हैं, उनकी कोई ज़मीन देवघर में नहीं है. यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं. जब उनके परिवार का कोई यहां आया ही नहीं, तो फिर वे ज़मीन कैसे ख़रीद लेंगे.''

मेरे बाप-दादा की जानकारी में ऐसी कोई बात नहीं है. अगर ज़मीन होती, तो हमें पता होता. हमने उसकी पूजा करायी होती. यही देवघर की परंपरा है. बिना पंडों के यहां कोई शुभ काम नहीं होता.

No comments:

Post a Comment